2027 विधानसभा चुनाव से पहले क्या साथ आएंगे BJP-SAD? दिलचस्प मोड़ पर खड़ी पंजाब की राजनीति

चंडीगढ़। तरन तारन विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने पंजाब की राजनीति में नई सरगर्मियां पैदा कर दी हैं। फरवरी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए राज्य की सभी प्रमुख पार्टियां राजनीतिक गणित में जुट गई हैं।

उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने जीत जरूर दर्ज की है, लेकिन नतीजों ने भगवंत मान सरकार, कांग्रेस और BJP—तीनों को नए सिरे से रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया है।


BJP–SAD फिर साथ आएंगे? गठबंधन पर चर्चाएं तेज

2007 से 2017 तक पंजाब में गठबंधन सरकार चला चुके शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रास्ते 2020 में कृषि कानूनों के मुद्दे पर अलग हो गए थे।
अकाली दल का आरोप था कि कृषि कानूनों के दौरान BJP ने किसानों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया।

अलगाव के बाद BJP लगातार विधानसभा, लोकसभा और उपचुनावों में हार झेलती रही है। दूसरी ओर SAD भी राजनीतिक तौर पर हाशिये पर चला गया है।

अब 2027 के चुनाव को देखते हुए दोनों दलों के पुनः एक होने की चर्चा तेज है। BJP के अंदर भी इस पर मतभेद हैं—

कुछ नेता गठबंधन को ज़रूरी बता रहे हैं

जबकि कुछ अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं


तरन तारन में अकाली दल दूसरे नंबर पर, BJP और कांग्रेस को झटका

तरन तारन उपचुनाव में:

AAP विजेता रही

SAD ने कड़ी चुनौती देकर दूसरा स्थान लिया

निर्दलीय तीसरे,

कांग्रेस चौथे स्थान पर रही

जबकि BJP को मात्र 6,239 वोट मिले

ये नतीजे BJP और कांग्रेस दोनों के लिए चिंता का कारण बने हैं। कांग्रेस इस सीट पर पहले दूसरे स्थान पर रहती थी, लेकिन इस बार SAD ने उसकी जगह ले ली।

SAD के लिए यह नतीजा हौसला बढ़ाने वाला माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक,
“यदि SAD–BJP साथ आते हैं, तो वे AAP और कांग्रेस के मुकाबले मजबूत चुनौती पेश कर सकते हैं।”


SAD की चिंता — किसान वोटर न हो जाए नाराज़

लेकिन गठबंधन की राह आसान नहीं है। SAD के सामने बड़ी चुनौती है कि—

किसान आंदोलन के दौरान BJP के रुख से जाट सिख और किसान तबका नाराज़ न हो जाए

धार्मिक व सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों पर दोनों दलों की राय कई बार अलग-अलग रही है

SAD नेतृत्व को डर है कि गठबंधन होने पर उसका पारंपरिक वोट बैंक खिसक सकता है।


कांग्रेस और AAP की बराबर चुनौतियां

देशभर में कांग्रेस को जारी हार के चलते पंजाब में पार्टी को अपने नेताओं को एकजुट रखने में मुश्किलें हैं।
दूसरी ओर AAP सरकार पर भी दबाव है—

महिलाओं को 1000 रुपये सम्मान राशि

कई विकास वादे
अब भी अधूरे हैं, जो 2027 में चुनौती बन सकते हैं।


निष्कर्ष

तरन तारन उपचुनाव ने साफ कर दिया है कि पंजाब की राजनीति तेज़ी से बदल रही है।
2027 चुनाव तक

BJP–SAD गठबंधन,

कांग्रेस की एकजुटता,

AAP के वादों की पूर्ति
राज्य की राजनीति को निर्णायक रूप से प्रभावित करेंगे।

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