पंजाब की राजनीति में साढ़े नौ वर्षों से बंद पड़ी एक अत्यंत संवेदनशील फाइल आखिरकार खुल गई है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 328 पावन स्वरूपों की रहस्यमयी गुमशुदगी के मामले में पहली बार भगवंत मान सरकार ने निर्णायक कदम उठाते हुए SGPC के 16 कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है।
यह कदम न सिर्फ धार्मिक भावनाओं का सम्मान है बल्कि पंजाब की न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास लौटाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।
2016 में खुलासा, 3 सरकारें बदलीं—पर एक भी FIR नहीं
यह मामला 2016 में प्रकाश में आया था, जब SGPC के प्रकाशन विभाग की जांच में सामने आया कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के दर्जनों स्वरूप रिकॉर्ड के बिना विभाग से बाहर गए।
2016 — बादल सरकार: मामला दबाने के आरोप, कोई FIR नहीं
2017—2021 कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार: मांगें उठीं, पर कार्रवाई नहीं
2021—2022 चन्नी सरकार: छोटे कार्यकाल में भी फाइल आगे नहीं बढ़ी
तीन मुख्यमंत्रियों के दौर में यह मामला सिर्फ बयानबाज़ी, बैठकों और आश्वासन तक सीमित रहा।
328 पावन स्वरूप गायब—सिख समुदाय की गहरी पीड़ा
अकाल तख्त की विशेष समिति ने 2020 में जांच कर के बताया:
कुल 328 पवित्र स्वरूप का रिकॉर्ड नहीं
इनमें से 186 स्वरूप बिना किसी आधिकारिक अनुमति के जारी
यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि करोड़ों सिखों की आस्था से जुड़ा गंभीर उल्लंघन
मान सरकार की बड़ी कार्रवाई: पहली FIR दर्ज
2022 में सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी सरकार ने फाइलों को फिर से खोला और कानूनी राय ली।
लगातार जांच और दस्तावेज़ों की समीक्षा के बाद 2025 में:
✔ 16 SGPC कर्मचारियों को नामजद करते हुए FIR दर्ज
✔ आरोप – रिकॉर्ड से बाहर वितरण, अनधिकृत जारी, आधिकारिक पुस्तकों में छेड़छाड़
✔ यह 9 साल में पहली कानूनी कार्रवाई है
भगवंत मान ने साफ कहा —
“धर्म और आस्था के मामलों में किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं होगी।”
जांच अब किन तक पहुंचेगी?
विशेषज्ञों के अनुसार, पूछताछ के बाद बड़े खुलासे संभव:
किसके निर्देश पर पावन स्वरूप जारी हुए?
क्या कोई संगठित ढांचा शामिल था?
क्या वरिष्ठ पदाधिकारियों या राजनीतिक चेहरों की भूमिका रही?
यदि धन लेन-देन या साठगांठ के सबूत मिले, तो यह मामला पंजाब की राजनीति को हिला सकता है।
सिख संगठनों और जनता की सकारात्मक प्रतिक्रिया
धार्मिक संगठनों ने मान सरकार के कदम को ऐतिहासिक बताया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ तेज़:
“तीन सीएम बदल गए, FIR नहीं हुई। मान ने कर दिखाया।”
“यह आस्था और न्याय के लिए साहसिक फैसला है।”
लोग पिछली सरकारों की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं।
मान सरकार का संदेश—पारदर्शिता, जवाबदेही, न्याय
सरकार ने स्पष्ट किया कि जांच पूरी पारदर्शिता से होगी और दोषी कोई भी हो—बख्शा नहीं जाएगा।
यह कदम पंजाब में ईमानदार शासन और धार्मिक सम्मान के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इतिहास में दर्ज होने वाला फैसला
9 साल बाद दर्ज हुई यह पहली FIR एक नई शुरुआत है—
✔ आस्था का सम्मान
✔ न्याय की दिशा में बड़ा कदम
✔ दबे हुए मामले को बाहर निकालने का साहस
अब निगाहें पुलिस जांच पर टिकी हैं। आने वाले दिनों में इस केस की परतें खुलेंगी और कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।









