अमेरिकी स्पेशल फोर्सेस के अधिकारी टेरेंस अरवेल्ले जैक्सन की मौत को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है। जैक्सन 31 अगस्त को बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक होटल में मृत पाए गए थे। वह अमेरिकी सेना के अधिकारी थे और बांग्लादेश में लगभग चार महीने तक रह चुके थे। इस दौरान उन्होंने कई सैन्य और संवेदनशील ठिकानों का दौरा किया था।
भारत के मिजोरम से सटे चटगांव नेवल बेस समेत तीन जिलों में गए थे। 50 वर्षीय जैक्सन पहले अमेरिकी स्पेशल फोर्सेस में थे और बाद में उन्होंने सेना से जल्दीरिटायर होकर एक निजी सुरक्षा कंपनी में काम करना शुरू किया। माना जाता है कि वे 160वीं स्पेशल ऑपरेशन एविएशन रेजिमेंट यानी “नाइट स्टाल्कर्स” यूनिट से जुड़े रहे थे।
नॉर्थ ईस्ट पर थी जैक्सन की नजर
जैक्सन की नजर भारत के नॉर्थ ईस्ट पर थी। वह चटगांव नेवल बेस गया, जहां बांग्लादेशी नौसेना के युद्धपोत और सबमरीन तैनात हैं। इसके अलावा वह बांग्लादेश की थल सेना के अड्डों पर भी गया, जैसे जलालाबाद छावनी क्षेत्र, जहां पैरा कमांडो की ब्रिगेड मौजूद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उसने बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी।
पीएम मोदी की हत्या की साजिश
जैक्सन की मौत के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। अमेरिका इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है और यह नहीं बता रहा कि वह बांग्लादेश में क्या कर रहा था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि जैक्सन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहा था, जिसे रूस और भारत ने मिलकर विफल किया। यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की वेबसाइट ऑर्गनाइजर ने भी अपनी रिपोर्ट में ऐसे ही कुछ दावे किए हैं। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।सेंट मार्टिन द्वीप पर अमेरिकी सैन्य बेस
अमेरिका बांग्लादेश में अपना सैन्य और सामरिक प्रभाव बढ़ाना चाहता है, जैसे कि सेंट मार्टिन द्वीप पर अपना बेस बनाना। जैक्सन कोई साधारण अधिकारी नहीं था। उसने अमेरिकी सेना में लगभग 20 साल तक काम किया और एशिया में कई कमांड संभाले।
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कुल मिलाकर, टेरेंस जैक्सन का मामला सिर्फ एक मौत नहीं है। यह अमेरिका, बांग्लादेश और भारत के बीच सुरक्षा और राजनीतिक जटिलताओं को सामने लाता है और कई सवाल खड़े करता है, जिनका जवाब अभी तक अस्पष्ट है।









