दिल्ली में रहने वाले लोगों को मई और जून के महीने में बिजली के बिल पहले से ज़्यादा चुकाने पड़ सकते हैं। अधिकारियों ने रविवार को जानकारी दी कि राजधानी की तीनों डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) ने पावर परचेज एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) यानी बिजली खरीद समायोजन लागत में संशोधन किया है, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं के अगले दो महीनों के बिलों पर पड़ेगा।
पीपीएसी दरों में यह बढ़ोतरी कोयला और गैस जैसे ईंधन की लागत में इज़ाफे को दर्शाती है, जिसे बिजली उत्पादन कंपनियां वहन करती हैं और आगे उपभोक्ताओं से वसूला जाता है। इसकी गणना बिजली बिल के स्थिर शुल्क और ऊर्जा शुल्क (खपत की गई यूनिट) के आधार पर प्रतिशत रूप में की जाती है।
दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (DERC) ने इस महीने की शुरुआत में एक आदेश जारी कर BRPL को 7.25%, BYPL को 8.11% और टाटा पॉवर-DDL को 10.47% पीपीएसी वसूलने की अनुमति दी है। यह बढ़ी हुई दरें मई-जून 2024 की अवधि में लागू रहेंगी।
यूआरडी ने किया विरोध, बताया इसे “मनमाना फ़ैसला”
दिल्ली की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों की शीर्ष संस्था यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली (यूआरडी) ने इस बढ़ोतरी की कड़ी निंदा की है। यूआरडी के महासचिव सौरभ गांधी ने इसे “कानूनी रूप से गलत” और “मनमाना” बताया। उन्होंने कहा, “डीईआरसी ने जिस प्रक्रिया से यह दरें लागू की हैं, वह पारदर्शी और उचित नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से कमीशन लगातार बिजली कंपनियों को अलग-अलग तरीकों से फायदा पहुंचा रहा है।”
गांधी ने आगे कहा कि नई बनी कमीशन से लोगों को उम्मीद थी कि यह तय प्रक्रिया के तहत काम करेगा और उचित सार्वजनिक सुनवाई करवाएगा, लेकिन इस बार सिर्फ एक वर्चुअल सुनवाई की गई, जिसमें हितधारकों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया।